पीपल के वृक्ष से परेशानियों को खत्म

प्राचीन शास्त्र अथर्ववेद में पीपल के पेड़ को देवताओं का निवास बताया गया है– अश्वत्थो देव सदन:। ऐसा माना जाता है के महात्मा बुद्ध का बोध–निर्वाण पीपल की घनी छाया से जुड़ा हुआ है। पीपल की छाया तप, साधना के लिए ऋषियों की पसंद माना जाता था। आज आपको बताते है क्यों पीपल का पेड़ पवित्र है और क्या है इसके फायदे
peepal ke ped ke labh
पीपल वृक्ष प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में विशेष मान्यता दी गयी है। ग्रंथों में पीपल को प्रत्यक्ष देवता की संज्ञा दी गई है।
स्कन्दपुराणमें वर्णित है कि अश्वत्थ(पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं। पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। यह सभी अभीष्टोंका साधक है। इसका आश्रय मानव के सभी पाप ताप का शमन करता है।
प्राय: यज्ञ में इसकी समिधा को बडा उपयोगी और महत्वपूर्ण माना गया है। प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज में अश्वत्थोपासनामें पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है। इसमें अर्थवणऋषि पिप्पलादमुनि को बताते हैं कि प्राचीन काल में दैत्यों के अत्याचारों से पीडित समस्त देवता जब विष्णु के पास गए और उनसे कष्ट मुक्ति का उपाय पूछा, तब प्रभु ने उत्तर दिया-मैं अश्वत्थ के रूप में भूतल पर प्रत्यक्षत:विद्यमान हूं।
आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या में पीपल वृक्ष के पूजन से शनि से मुक्ति प्राप्त होती है।
ऐसा माना जाता है के श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से बडे संकट से मुक्ति मिल जाती है।
पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र,जप और ध्यान उपादेय रहता है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापरयुगमें परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए।
पीपल की सेवा प्रत्येक शनिवार पर्ने से शनिदेव प्रसन्न होते है सांयकाल के समय पीपल के नीचे मिट्टी के दीपक को सरसों के तेल से प्रज्ज्वलित कर अपने दुःख व मानसिक कष्ट दूर होते है.
पीपल की परिक्रमा सुबह सूर्योदय से पूर्व करने से अस्थमा रोग में राहत मिलती है.
पीपल के नीचे बैठ कर ध्यान करने से ज्ञान की वृद्धि हो कर मन सात्विक होता है.
यदि ग्यारह पीपल के वृक्ष नदी के किनारे लगाए जाय तो समस्त पापों का नाश होता है.
विज्ञानं कहता है के पीपल का वृक्ष आक्सीजन का भण्डार है यही आक्सीजन हमारे जीवन में भी आ कर हमे जीवित रखती है.
पीपल की सेवा प्रत्येक शनिवार पर्ने से शनिदेव प्रसन्न होते है सांयकाल के समय पीपल के नीचे मिट्टी के दीपक को सरसों के तेल से प्रज्ज्वलित कर अपने दुःख व मानसिक कष्ट दूर होते है.
पीपल की परिक्रमा सुबह सूर्योदय से पूर्व करने से अस्थमा रोग में राहत मिलती है.
पीपल के नीचे बैठ कर ध्यान करने से ज्ञान की वृद्धि हो कर मन सात्विक होता है.
यदि ग्यारह पीपल के वृक्ष नदी के किनारे लगाए जाय तो समस्त पापों का नाश होता है.
विज्ञानं कहता है के पीपल का वृक्ष आक्सीजन का भण्डार है यही आक्सीजन हमारे जीवन में भी आ कर हमे जीवित रखती है.
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